Saturday, 7 October 2017

2 Line Shayari, Dekhta rehta hu

देखता रहता हूँ हाथों की लकीरों को..
दिन रात, यार का दीदार कहीं लिखा हो शायद।


बातें तो हम भी उनसे बहुत करना चाहते है,
पर ना जाने क्यूँ वो हमसे मुँह छुपाये बैठे है।
सो गई है शहर की सारी गलिया,
अब जागने की बारी मेरी है।
तेरे सिवा कौन ‎समा सकता है ‎मेरे दिल में,
रूह भी गिरवी रख दी है मैंने ‎तेरी चाहत में।
धड़कनों को भी रास्ता दे दीजिये हुजूर,
आप तो पूरे दिल पर कब्जा किये बैठे है।
लत तेरी ही लगी है.. नशा सरेआम होगा,
हर लम्हा.. मेरे इश्क का, सिर्फ तेरे नाम होगा।
अब मेरा हाल चाल नहीं पूछते हो तो क्या हुआ,
कल एक एक से पूछोगे की उसे हुआ क्या था.
कह दो उससे जुदाई अज़ीज़ है तो रूठ जाये हमसे,
वो हमारे बिन जी सकता है तो हम भी मर नहीं जायेंगे।
मोहब्बत किससे और कब हो जाये..
अदांजा नहीं होता, ये वो घर है जिसका दरवाजा नहीं होता।
उनकी चाल ही काफी थी इस दिल के होश उड़ाने के लिए,
अब तो हद हो गई जब से वो पाँव में पायल पहनने लगे।

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