Wednesday, 2 October 2019

आजकल के आशिक़ और उनकी आशिकी पर शायरी

सपना देखते हैं रात को आशिकी का
और डरते हैं की जल्दी सुबह ना हो
माशूक़ ढूंढते हैं खूबसूरत कोई…
और डरते हैं की वो बेवफा ना हो

 

 

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