Sunday, 19 January 2020

तुम्हारे बदन से वो मोहब्बत की खूश्बू आती नहीं

तुम क़रीब हो मगर फ़िर भी तुम्हारे बदन से वो मोहब्बत की खूश्बू आती नहीं।
इन हवाओं का रूख भी बदल रहा है, लगता है तुम्हें अब सोहबत मेरी भाती नहीं।

~ नीरज कुमार

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