कर्मपथ अभी शुरू हुआ है,
मंजिले अभी दुर है।
मेरे अटल निश्चय के आगे,
नभ-पर्वत चूर है।
अनेक बार हारा तो क्या,
अनेक ठोकर खाई तो क्या,
ठोकर के आगे का पथ,
ले जाऐगा बुलंदि पर।
चल कर्मपथिक तू चलता बन
सफलता की राह पर॥
~ Jitendra s.ameta
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