Tuesday, 30 July 2019

Hindi mein Shayari, Kalpana ke is Shehar mein

कल्पना के इस शहर में हम उनको ढूंढ रहे हैं
और हमारे पास उनके घर की कोई निशानी भी नही है!

तुम मूड में नहीं थे तो क्यू बनाया मुझे रब,
मिट्टी दुबारा गुथो और फिर से बनाओ मुझे।

वो जवानी में ही मर गया था..
कमाल था लाश बुढ़ापे तक चलती रही।

ये आपका चेहरा है या प्याज के छिलके,
एक चेहरा उतारा तो सौ और चेहरे मिले।

कभी जिंदगी के धागे टूट जाए तो हमारे पास आना..
हम हौसलों के ढर्जी है मुफ्त में उफू करते हैं।

हसरत से देखते हैं हम माज़ी को इस तरह,
जैसे के लौट आएंगे जो दिन गुज़र गए।

मुझको शर्मिंदा कर जाए, जब वो नज़र झुकाकर जाए,
मेरी बेटी सी इक लड़की, मुझसे क्यूँ घबरा कर जाए!

और सो लेने दो थोडा़ सा मेरी आँखों को,
बड़ी मुद्दत के कई ख़्वाब सजे हैं इनमें!

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