वह नयन ही क्या जिसमें सपने ना हो,
वह चयन ही क्या जो अपने ना हो ।
वह फूल ही क्या जिसमें खुशबू ना हो,
वह शूल ही क्या जो चुभती ना हो।
वह दर्द ही क्या जो याद ना हो,
वह मुस्कान ही क्या जिसमें खुशी ना हो।
~ उत्तीर्णा धर
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