कवि तो कवि होते है ।
ये ऐसे बुद्ध जिवी होते है
प्रखर इनकी रचनाओं में शब्दों से रवि होते है।
हैदराबादी, उर्दू, या हिंदी, ये लखनवी होते है ।
व्यंग, कविताएं, तंज कसने में,
ये बड़े अनुभवी होते है ।
कागज़ वस्त्र इनके, कलम आभूषण
समाज में साक्षरता की छवि होते है।
मै कवि नहीं, और क्या लिखूं ,
कबीर, तुलसीदास, बच्चन, निराला,
संसार में कभी कभी होते है।
कवि तो कवि होते है ।।
~ Abhidat Arunkumar Fale
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