हवाओं के इशारे होते हैं, नदियों के भी किनारे होते हैं। सिर्फ अहसास करने की बात है, कभी कभी गर्दिश में सितारे ह़ोते हैं।
~ जितेंद्र मिश्र ‘भरत जी’
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