तुम्हारी बातों में दिल आ गया था। नज़र जब मिली थी मैं शर्मा गया था। अदाओं ने तेरी, दिल मेरा छीना। तेरा मुस्कराना गज़ब ढा गया था।
~ जितेंद्र मिश्र ‘भरत जी’
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