वर्तमान समय में पुरे विश्व में अगर कोई बात चर्चा में हैं तो वो है कोरोना जिसे कोविद-१९ का भी नाम दिया गया हैं| पूरी दुनिया में फैलने के कारण कोरोना सिर्फ कोई बीमारी ही नहीं बल्कि कोरोना एक वैश्विक महामारी बन गयी है, जिसका प्रकोप इतना भयंकर रूप ले लेगा हमने कभी नहीं सोचा था | आईये हमने कोरोना एक वैश्विक महामारी है पर निबंध लिखा हैं, जिसे पढ़ते हैं और बारीकी से कोरोना वैश्विक महामारी को जानते हैं और इसके सारे पहलुओं पर बात करते हैं-
कोरोना वायरस क्या है?
कोरोना वायरस को सबसे पहले शोधकर्ताओं ने 1937 में खोजा था। यह ब्रोंकाइटिस का एक प्रकार था और यह रेस्पिरेटरी या श्वसन तंत्र पर अपना प्रभाव डालता है।
ये सबसे पहले चिड़ियों और मुर्गियों में पाया गया था । लेकिन 1960 में मानव शरीर में पहली बार कोरोना वायरस के सबूत मिले । विशेष रूप से वे व्यक्ति जिनको हल्का जुकाम या सर्दी हुआ करती थे, उनकी “नाक” में साधारण रूप से यह वायरस पाया गया।
उस समय इसका असर सिर्फ, सर्दी-जुकाम तक ही सीमित हुआ करता था। फिर समय के साथ-साथ इसने अपने रूपों को बदलना भी शुरू किया ।
यदि इसके नाम का विश्लेषण किया जाए तो, लैटिन भाषा में, “कोरोना” का अर्थ है “क्राउन“, क्योंकि यह दिखने में लगभग एक क्राउन या मुकुट जैसा ही दिखता था।
साधारणत: इस वायरस का असर मौसम बदलने के अनुसार, होने वाले सर्दी जुकाम के साथ-साथ हलके बुखार आदि के साथ होता था और इसका कोई निश्चित समय नहीं होता था, यह कभी भी हो सकता था।
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कोरोना वायरस विश्व में कैसे फैला?
कोरोना वायरस 1937 से अपने रूप या प्रकार को लगातार बदलता रहता था।
चिड़ियों, मुर्गियों के साथ-साथ यह कोरोना वायरस दूसरे जानवरों, चमगादड़ों के साथ मानव शरीर पर भी इसका प्रभाव पाया गया।
चूँकि यह एक संपर्क में आने से होने वाली बीमारी है और इसका रूप अब और भी खतरनाक हो चला था, वुहान, चीन से इसके इस खतरनाक रूप की शुरुआत हुई थी।
पशु-पक्षियों के अलावा जब से यह मनुष्य शरीर में आया है, और चूँकि मनुष्य सबसे ज़्यादा सबके पास रहता है और अक्सर भीड़ में ही होते हैं, तो इस वायरस का संक्रमण मानव शरीर पर ज़्यादा असर डालता है।
कोरोना वायरस की शुरुआत का मुख्य स्थान
इस वायरस की खोज के शुरूआती दिनों में इसको “वुहान कोरोना वायरस” और कभी-कभी “वुहान निमोनिया” भी कहा जाता रहा है । भौगोलिक आधार पर इसको “स्पेनिश फ्लू”, “मिडिल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम” और “ज़ीका वायरस” के नाम से भी जाना जाता रहा है।
मार्च 2020 में इस वायरस का नाम COVID -19 दिया गया जिसका अर्थ था, “CO for Corona ” “VI for Virus”, “D for disease” aur चूँकि यह 2019 में इसने कहर बरपाना शुरू किया था, इसलिए इसको “COVID-19” नाम दिया गया ।
कोरोना एक वैश्विक महामारी, के रूप में दिसंबर 2019 में देखा गया था और इसका असर मानव शरीर पर बहुत ही खतरनाक और जानलेवा था। लेकिन शोधकर्ताओं का एक अनुमान है कि वुहान, चीन के एक मांस-मछली बेचने वाले बाज़ार से शुरुआत हुई थी ।
COVID -19 एक तरह की संपर्क द्वारा फैलने की बीमारी है, जो मुख्य रूप से “Severe acute respiratory syndrome coronavirus 2” (SARS -COV 2 ) द्वारा जीव-जंतुओं में फैलती है।
इस वायरस को सबसे पहले “वुहान”, चीन में पाया गया था, जिसका प्रकोप इतनी तेज़ी से बढ़ा कि, पूरे विश्व में तहलका मचा दिया। अभी, अप्रैल 2021 तक यह लगभग 20 मिलियन लोगो को विश्व में अपनी चपेट में ले चुका है।
चूँकि या पहले सामान्य से सर्दी-जुकाम, बुखार के रूप में लोगो के सामने आया, तो बहुत से लोगो के बचने का एक तरीका यही रहा है , कि सर्दी-जुकाम, बुखार के इलाज़ एकदम शुरू किया जाए।
कोरोना वायरस के सामान्य लक्षण
पिछले 84 वर्षों में इस वायरस से होने वाली बीमारियों लक्षण समय के साथ-साथ बदलते रहे हैं, जो कि हलके सर्दी, जुकाम, बुखार, से लेकर जुकाम, बुखार, सर दर्द, सूंघने की शक्ति काम होना, जीभ पर स्वाद खो जाना, नाक में कंजेशन, नाक का बहना, खांसी, मांस-पेशियों में दर्द रहना, गले का सुखना और गले में दर्द रहना, थकन, डायरिया और सांस लेने में तकलीफ होना हैं ।
यह लक्षण व्यक्ति की फिसिओलॉजी पर भी निर्भर करता है कि उस व्यक्ति विशेष की इम्युनिटी कितनी ताकतवर या कमज़ोर है। लगभग 81 % लोगो में यह हलके और सामान्य लक्ष्यों को दिखाता है, यह तक कि हल्का निमोनिया भी हो सकता है, जबकि 14 % लोगो में गंभीर लक्षण दिखाई देते हैं, जिसमें सांस लेने में तकलीफ होना, ऑक्सीजन की कमी होना (जो आजकल बहुत देखा जा रहा है) और लगभग 50 % फेफड़ों से सम्बंधित बीमारियों का होना शामिल है।
यहाँ तक यह भी देखा गया है कि कभी-कभी ये लक्षण इतने सूक्ष्म भी होते हैं, कि, किसी व्यक्ति को कोरोना वायरस अपन असर भी दिखा देता है और चूँकि उनके इम्युनिटी कुछ ताकतवर होती है, और यह वायरस अपने आप चला भी जाता है, जिसको “असिम्पटोमैटिक” लक्षण भी कहा जाता है, और शोध में या भी पाया गया है, कि इस तरह के व्यक्तियों से यह वायरस तेज़ी से फैलता है, चूँकि उनको भी यह पता नहीं होता कि वे इन्फेक्टेड हैं।
लेकिन अभी “कोरोना एक वैश्विक महामारी” के रूप में सामने आया है, इसमें जो वायरस है, मूलतः यह एक “अधूरा स्ट्रक्चर” है, जो स्वयं को पूरा करने के लिए व्यक्ति के शरीर के प्रोटीन को उपयोग करके पूरा करने की कोशिश करता है, और इसका “म्युटेशन” या शरीर में फैलाव इतना तेज़ और फ़ास्ट है कि यदि व्यक्ति की इम्युनिटी यदि स्ट्रांग नहीं है तो यह जल्द ही पूरे शरीर पर कब्जा कर लेता है और अंततः आपको बहुत बीमार करके, आपको ऑक्सीजन की नौबत तक भी ला सकता है, और आज अप्रैल 2021 में यह सब देखा जा रहा है।
कोरोना वायरस से बीमारी फैलने के कारण
कोरोना वायरस से बीमारियां मुख्य रूप से, श्वसन तंत्र या रेस्पिरेटरी सिस्टम के माध्यम से होती है, जिसमें किसी पीड़ित व्यक्ति के संपर्क में आना, उसकी साँसों द्वारा असर होना, उससे बात करने पर भी इन्फेक्शन होना, सर्दी, जुकाम आदि भी शामिल है।
जनवरी 2020 में कोरोना वायरस का संचार मुख्यतः पानी की फुहार या “ड्रॉपलेट” के माध्यम से होना शुरू हुआ था, जो अब 1 साल बाद यह हवा में भी आ गया है और इसलिए भारत में कोरोना वायरस के केस काफी बढ़ रहे हैं, जिसको “दूसरी लहर” भी कहा जा रहा है ।
इसके साथ पहले यह असर या इन्फेक्शन 4-7 दिन रहा करता था, लेकिन यह आज अप्रैल 2021 में लगभग 10 से 15 दिन तक हो गया है और साथ ही, फेफड़ो में आक्सीजन की कमी बहुतायत में पायी जा रही है।
कोरोना एक वैश्विक महामारी से बचाव और उपाय
सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण बात यह है कि इस कोरोना वायरस का “इलाज़” इस वायरस से “बचाव” में ही है। जिसमें शामिल है कि :
- कहीं भी खुले में रहे,
- लोगो के ज़्यादा पास ना रहे,
- जब भी लोगो की बीच जाना हो तो “फेस मास्क” ज़रूर पहने,
- ज़्यादा से ज़्यादा वेंटिलेशन रखें,
- हवादार जगह पर रहे,
- आसपास सफाई रखें,
- हाथ, मुँह, पैर समय-समय पर धोते रहे,
- सेनिटाइजर का उपयोग आवश्यकता पर करते रहे,
- लिफ्ट, कॉरिडोर, आदि जैसे जगहों जहाँ पर वेंटिलेशन पर्याप्त ना हो, इस तरह की जगहों का उपयोग ना ही करें
- यदि लक्षण कुछ ज़्यादा दिन तक रहें तो डॉक्टर से अवश्य मिल लें
- घर की रसोई में उपलब्ध मसालों और जड़ी बूटियों से “काढ़ा” बना कर अवश्य पीते रहे, ताकि इम्यून सिस्टम मज़बूत बना रहे
- खाने में हरी सब्ज़ियां और ताजे फलो या सब्ज़ियों का जूस पियें
- जंक फ़ूड, फ्रिज में रखी चीजें, देर रात में खाना खाना, बाहर खाना खान आदि से दूर ही रहें
- ठंडी चीजें ना ही खाए और ना पीये,
- गर्म पानी पीते रहे,
- जो भी सरफेस आप छूते हैं उनको लगातार साफ़ करते रहे
कोरोना के लिए वैक्सीन
10 जनवरी 2020 को SARS-CoV-2 का जेनेटिक सीक्वेंस डाटा “GISAID ” को दिया गया और 19 मार्च 2020 को “ग्लोबल फार्मास्यूटिकल इंडस्ट्री” ने यह ऐलान किया कि वे “COVID -19 ” से बचाव के लिए वैक्सीन के निर्माण के लिए कटिबद्ध हैं ।
इसके मेडिकल लेवल पर कुछ ट्रायल किये गए हैं, और फेज 3 में इस वैक्सीन ने लगभग 95 % लोगो पर अपना पॉजिटिव असर दिखाया है, जिनको कोरोना के लक्षण मौजूद थे।
अप्रैल 2021 को 13 वैक्सीन को ऑथोराइज़ किया गया है जिसमें किसी देश की कम से कम एक “नेशनल रेगुलेटरी अथॉरिटी” ने COVID – 19 से बचाव हेतु इलाज़ के लिए अधिकृत किया है।
जिसमें 2 RNA vaccine (Pfizer-BioNTech & Moderna Vaccine), 5 Conventional inactivted vaccines (BBIBP-CorV, CoronaVac, Covaxin, WIBP-CorV and CoviVac), 4 Viral vector vaccine (Sputnik V, Oxford-Astrazeneca vaccine, Convidecia & Johnson & Johnson vaccine), 2 protein subunit vaccine (EpiVacCorona and RBD-Dimer) शामिल हैं।
मार्च 2021 तक, 308 कैंडिडेट जो वैक्सीन निर्माण की अलग-अलग स्टेज पर हैं, 73 क्लीनिकल रिसर्च में हैं जिसमें 24 फेज 1 ट्रायल्स में, 33 फेज 1 -2 ट्रायल में और 16 कैंडिडेट फेज 3 में हैं ।
इस वैक्सीन के लम्बे समय में क्या-क्या इफ़ेक्ट होने वाले हैं, इसका अभी तो पता नहीं है, क्योंकि कोरोना वायरस का प्रभाव सिर्फ अभी 1 साल से ही है, लेकिन शार्ट टर्म में ये इफ़ेक्ट हो सकते हैं :
- इंजेक्शन की जगह दर्द होने
- उस जगह पर सूजन आ जाना
- थकान महसूस होना
- सर में दर्द और मांस पेशियों में दर्द होना
- बुखार का आना भी हो सकता है
ऐसा इसलिए होता है, कि, विशेष रूप से ये वैक्सीन इसलिए दी जा रही है, जिससे हमारे “इम्यून सिस्टम” के ताकत बढ़े जिससे कोरोना वायरस से शरीर लड़ाई कर सके और हम सुरक्षित रहे ।
वैक्सीन के दूसरे फेज में भी इस तरह के और भी इफ़ेक्ट दिखाई दे सकते हैं ।
अप्रैल 2021 तक 1.03 बिलियन वैक्सीन को पूरी दुनिया में भेजा जा चुका है, जिसमें सम्बंधित फार्मेसी कंपनियों से अपना कीमती योगदान दिया है।
मनुष्य जीवन पर कोरोना महामारी का प्रभाव !
कोरोना को मानव सन्दर्भ में देखा जाए तो यह तो 100 % निश्चित है कि, मानव जीवन में “मानव-मूल्यों” का महत्त्व काफी बढ़ गया है, इसके अलावा भविष्य के प्रति सजगता में सकारात्मक बदलाव देखा गया है।
अपने घर में सीमित रहते हुए “अपनों” के संपर्क में रहना, अब हम सबने भली-भांति सीख लिया है, साथ ही “अपने और अपनों” के स्वास्थ्य के बारे में प्राकृतिक चिकित्सा के माध्यम से स्वयं को स्वस्थ कैसे रखें, इससे सम्बंधित काफी सारी जानकारी बहुतायत मात्रा में सरलता से उपलब्ध है।
कोरोना एक वैश्विक महामारी के दूसरे पक्ष को देखा जाए तो, देश के अर्थव्यवस्था “पूर्णतः बंद” होने के बाद भी अपने जीवन को भविष्य की ओर कैसे लेकर जाना है, इसका थोड़ा-बहुत ज्ञान इस महामारी से मिल चुका है। जाहिर सी बात है, कि, किसी देश की जीडीपी यदि ऋणात्मक भी हो जाए तो भी, देश के हर नागरिक को आवश्यक ज़रूरतो को मुहैया कराने हेतु, देश की राजनीतिक रणनीति पर थोड़ा यकीन हो चला है।
देश-व्यापी आधार पर यदि देखा जाए तो इतिहास गवाह है, कि, किसी भी देश में कोई भी महामारी हुई है, तब उस देश ने येन-केन-प्रकारेण स्वयं को “मुख्य धारा” में ला खड़ा किया है। इसमें वक्त कितना भी लगा हो, लेकिन हर वक्त एक जैसा भी नहीं हो सकता है।
कोरोना एक वैश्विक महामारी के बाद पृथ्वी पर जीवन
जिस तरह “प्लेग” से मानव और जानवर प्रभावित हुए थे, कम से कम, कोरोना काल में “जानवरों” पर इसका प्रभाव बिलकुल भी नहीं पड़ा, अन्यथा, मौतों का सिलसिला, मानव के साथ-साथ जीव-जन्तुओ पर भी होता और तब यह स्थिति और भी “भयानक और भयावह” होती ।
हम मानव माने चाहे या माने, “प्रकृति” ने हमेशा से ही हमारा पालन-पोषण किया है, और इस तरह की स्थितियां निर्मित की हैं, जिससे मानव और जीव-जंतुओं के साथ पेड़-पौधे, पादपों का जीवन भी स्वस्थ तरीके से कायम रहे।
जब भी महामारी का प्रकोप आया है, तो “समय” के साथ सभी कुछ ठीक हो चला है।
अब समय है, कि जीवन-शैली को आवश्कतानुसार बदला जाए और सजगता के साथ पूरी सावधानियां रखते हुए पर्याप्त साधनो का उपयोग और उनका विकास किया जाए, तभी जीवन एक सुनहरे कल की ओर बढ़ेग।
महामारी के बाद आवश्यक नीतियों का निर्धारण
कोरोना वैश्विक महामारी के बाद प्रत्येक देश के कर्तव्य है कि वह अपने देश की सामाजिक, भौगोलिक और वातावरण के अनुसार मानव और जीव जंतुओं के जीवन को सुरक्षित रखने के लिए आवश्यक नीतियों का निर्धारण करे और सभी बेसिक ज़रूरतों द्वारा जीवन को गति प्रदान की जाए ।
साथ ही जीवन-शैली में बदलाव के साथ, भविष्य के प्रति सावधानी और आवश्यक जानकारियों द्वारा जीवन को सुरक्षित रखा जाए ।
चिंता का एक विषय यह भी है, कि यह “कोरोना वायरस” अपने एक ही रूप में स्थिर नहीं है, यह लगातार अपना रूप बदल रहा है, जिससे इससे बचाव हेतु चिकित्सा क्षेत्र में आवश्यक शोध के लिए उतना समय ही नहीं मिल पा रहा है जिससे इसके लगभग हर “रूपों” से बचाव किया जा सके।
लेकिन अब तक अधिकतम लोगो के शरीर में “एंटी बॉडीज” बन जाने के कारण, मानव शरीर में इससे लड़ने की शक्ति तो अवश्य आयी है, और कुछ माह या कुछ वर्ष बाद, यह संभव हो सकता है कि इसका प्रभाव मानव जीवन पर इतना “भयानक” ना हो।
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