शज़र से टूट कर गिरा हूँ
मै ख़फ़ा हूँ, निराश हूँ, मगर मरा नहीं हूँ
मै डर तो दिखाया बहुत था,
पत्थर का हूँ मै डरा नहीं हूँ
सितम ये सारे दिल हसके सहेगा
जमाना जमात है बेशर्मो की, यूँ ही कहेगा
~ Kapil Beragi
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