तुम ख़ामोशी की जुबां समझ लेते हो, हमारी शाम को तुम सवार देते हो तुम चाहे गुजारिश ना करो इस बात की, हमे भी एतियात हैं तुम हमसे इश्क़ कर बैठे हो
~ शहज़ाद
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