फूलों की तरह हमें सदा खिलना चाहिए, प्रेमभाव से हमेशा हमें मिलना चाहिए। ज़िंदगी तो चार दिन की जी भर जिएं, निःस्वार्थ भाव से परमार्थ करना चाहिए।
~ जितेंद्र मिश्र ‘भरत जी’
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