दिन कटता नहीं अब रात नहीं होती, तेरी मेरी कोई मुलाकात नहीं होती। अब तो मन भी रेगिस्तान जैसा है, खुशियों की अब बरसात नहीं होती।
~ जितेंद्र मिश्र ‘बरसाने’
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