आसमान सिर पर उठाते हैं बच्चे, खेलते-कूदते और मुस्काते हैं बच्चे। ये बच्चे भी मन के सच्चे होते हैं, सीखते और कुछ सिखाते हैं बच्चे।
~ जितेंद्र मिश्र ‘भरत जी’
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