जिस्मों से मोहब्बत हो रही है…
दो रूहों का प्यार अब कहां रहा…
न रहे वो आशिक पहले जैसे…
मर मिटने का खुमार अब कहां रहा…
जिस्मों से मोहब्बत हो रही है…
दो रूहों का प्यार अब कहां रहा…
~ Akshat
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