मुझे मय्यसर समझ कर.. मेरी तौहीन ना कर… सितारे भी टूटते हैं… वस्ल-ए-ज़मी की चाहत में।
– जूली जायसवाल “ज़न्नत”
The post मेरी तौहीन न कर appeared first on Shayari.
No comments:
Post a Comment