गैरों के चेहरों पर भी मुस्कान सजाई थी हमने पर यहाँ तो नजर तक लग जाती हैं ज़माने की क्या बताऊँ तुझे हाल-ए-दिल अपने ए-दोस्त.. यहाँ सजाये मिलती हैं दोस्ती दिल से निभाने की
~ ख्वाइश
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