Thursday, 29 July 2021

सरहदों पर हिफाजत के लिए

एक सच्ची शहादत के लिए।
बुजुर्गों की विरासत के लिए।
घर छोड़ा, गांव छोड़ा, छोड़ा जहां,
सरहदों पर हिफाजत के लिए ।

 

~ अब्दुल रहमान अंसारी (रहमान काका)

 

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