एक सच्ची शहादत के लिए। बुजुर्गों की विरासत के लिए। घर छोड़ा, गांव छोड़ा, छोड़ा जहां, सरहदों पर हिफाजत के लिए ।
~ अब्दुल रहमान अंसारी (रहमान काका)
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