हौसले जवाब दे रहे हैं, हारके उन हालातों से,
धीरे धीरे दूर हो रहा हूँ, अपने ही जज़्बातों से,
अब तो टूट कर बिखरने की देरी हैं….
आजा संभाल ले, इन हाथों को उन हाथों से
~ Piyush kr. Singh
The post अब तो टूट कर बिखरने की देरी हैं appeared first on Shayari.
No comments:
Post a Comment