प्यार के गीत गाते रहो
तुम सदा यूं ही मुस्कुराते रहो।
ज़िंदगी की बड़ी है कठिन डगर,
ख़ुशियों के गीत सदा गुनगुनाते रहो।
हंसते-हंसते ये रास्ता कट जाएगा,
गम का बादल सदा यूं ही छंट जाएगा।
प्रेम की डोर यूं ही पकड़ कर चलो,
कुछ ना कुछ बोझ जीवन का बंट जाएगा।
उदासी न हो ना ही अफ़सोस हो,
मन में यूं ही हमारे नया जोश हो।
प्रीत पलती रहे ज़िंदगी में सदा,
मन में अपने न कोई आक्रोश हो।
प्यार के गीत गाते रहो………….।।
~ जितेंद्र मिश्र ‘भरत जी’
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