कुछ इम्तिहानो को, कुछ जुबानो को, बंद आँखों से सह गए वो ना कमजोरी थी, ना ही जी हुजूरी थी बस कुछ मज़बूरी थी जो अपना हर कदम कांटो पर चल गए वो
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