Wednesday 18 July 2018

ज़िन्दगी पर दुःख भरी शायरी

राहे रूकती हैं जब, ज़िन्दगी झुकती हैं तब
सर झुकता है जब, वक़्त रुकता हैं तब

जमाना हसंता हैं जब, सांसें रूकती हैं तब
बाहे दुखती हैं जब, हिम्मत रूकती हैं तब

शरीर खंजर सा हो जाता हैं, आत्मा बंजर सी हो जाती हैं
ना जाने क्यों ये ज़िन्दगी सिमट कर रह जाती हैं |

~ Suraj Yadav

The post ज़िन्दगी पर दुःख भरी शायरी appeared first on Shayari.

No comments:

Post a Comment