Thursday 12 September 2019

तुमने ही हंसी दी थी, तुमने ही रुलाया हैं

एक प्यार के मुजरिम से उल्फत भी करे तो कैसे करे,
तुम्हे टूट के चाहा था नफरत भी करे तो कैसे करे,
जो प्यार हमे करता उसने ही डुबाया हैं,
क्या प्यार में सोचा था क्या प्यार में पाया हैं,

 

तुम जो भी हमे समझो पर तुमको सदा सरहाएंगे हम,
चाह कर भी तुम्हे भुला ना पाएंगे हम,
तुमने ही हंसी दी थी, तुमने ही रुलाया हैं
क्या प्यार में सोचा था, क्या प्यार में पाया हैं…

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