Saturday 1 October 2022

मैं इतना अकेला हूं कि जीना भूल गया हूँ

मैं बारिश में चलता हूँ, ताकि कोई मेरे आँसू न देखले
मैं अँधेरे में चलता हूँ, ताकि कोई मेरे चेहरे पर डर न देखले

मन ही मन बोलता है, ताकि कोई मेरा टूटा हुआ दिल नहीं सुन सके

मैं इतना अकेला हूं कि, दूसरों के साथ रहना भी भूल गया हूं
एक हतषा ऐसी कि, मैं दूसरों पर भरोसा करना भी भूल गया हूं।

झूठा इतना हंसा, कि अब मैं अपनी असली मुस्कान भी भूल गया हूं
अरे ज़िन्दगी तुम क्या चाहती थी, मैं तो जीना भी भूल गया हूँ।

 

~ Chanchal Goyal

 

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