Tuesday 13 June 2017

2 Line Shayari, Talab Esi ki

तलब ऐसी कि सांसों में समा लूं तुझे,
किस्मत ऐसी कि देखने को मोहताज हूं तुझे।


तेरे होने का जिसमें किस्सा है,
वही मेरी जिंदगी का बेहतरीन हिस्सा है।
मुझे भी पता है कि तुम मेरी नहीं हो,
इस बात का बार बार एहसास मत दिलाया करों।
याद महबूब की और शिद्दत गर्मी की,
देखते हैं.. हमें कौन.. बीमार करता है।
गज़ब की बेरुख़ी छाई हे तेरे जाने के बाद,
अब तो सेल्फ़ी लेते वक़्त भी मुस्कुरा नही पाते।
हाल मीठे फलों का मत पूछिए साहब,
रात दिन, चाकू की नोंक पे रहते है।
कभी तुम पूछ लेना, कभी हम भी ज़िक्र कर लेगें,
छुपाकर दिल के दर्द को, एक दूसरे की फ़िक्र कर लेंगे।
शाम ढले ये सोच के बैठे हम तेरी तस्वीर के पास,
सारी ग़ज़लें बैठी होंगी अपने-अपने मीर के पास।
निगाहें नाज़ करती है फ़लक के आशियाने से,
खुदा भी रूठ जाता है किसी का दिल दुखाने से।
शायरी पढ़ने तक ही ताल्लुक रखते है लोग,
किसी ने अभी तक हमारी महबूबा का नाम तक नहीं पूछा।

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