Thursday 29 June 2017

कुछ मज़बूरी थी, जो हर कदम कांटो पर चल गए

कुछ इम्तिहानो को, कुछ जुबानो को, बंद आँखों से सह गए वो
ना कमजोरी थी, ना ही जी हुजूरी थी
बस कुछ मज़बूरी थी जो अपना हर कदम कांटो पर चल गए वो

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