आज इस उम्मीद पे गुज़ारी है मैंने एक शाम, की फिर कोई शाम सिर्फ उम्मीद पे ना गुजरे ।
~ NK
The post उम्मीद पे गुज़ारी एक शाम appeared first on Shayari.
No comments:
Post a Comment