Friday 29 September 2017

2 Line Shayari, Aao aaj mahfil sajate hai

आओ आज महफ़िल सजाते हैं,
तुम्हें लिखकर, तुम्हें ही सुनाते हैं।


नींद चुराने वाले पूछते हैं सोते क्यू नही,
इतनी ही फिक्र है तो फिर हमारे होते क्यू नही।
रास्ते जुदा होने से अहसास मिटा नहीँ करते,
हमतब भी महकेंगे जब मौसम पतझड़ के होंगे।
झूठ बोलते थे कितना, फिर भी सच्चे थे हम,
ये उन दिनों की बात है, जब बच्चे थे हम।
मत पहनाओ इन्हें.. शर्तों का लिबास,
रिश्ते तो.. बिंदास ही अच्छे लगते हैं।
प्यास तो मर कर भी नहीं बुझती ज़माने की,
मुर्दे भी जाते जाते गंगाजल का घूँट मांगते है।
तलब में शुमार इस कदर दीदार उनका,
सौ बार भी मिल जाये अधूरा लगता है।
तुम्हारा सिर्फ हवाओं पे शक़ गया होगा,
चिराग़ खुद भी तो जल-जल के थक गया होगा।
बड़ी तब्दीलिया लाया हूँ अपने आप मे लेकिन,
बस तुमको याद करने की वो आदत अब भी है।
नाम तेरा ऐसे लिख चुके है अपने वजूद पर,
कि तेरे नाम का भी कोई मिल जाए.. तो भी दिल धड़क जाता है।

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