Saturday 16 December 2017

2 Line Shayari Collection #179

दो मुलाकात क्या हुई हमारी तुम्हारी,
निगरानी में सारा शहर लग गया।


अपने खिलाफ बाते खामोशी से सुन लो,
यकीन मानो वक्त बेहतरीन जवाब देगा।
वक़्त को भी हुआ है ज़रूर किसी से इश्क़,
जो वो बेचैन है इतना कि ठहरता ही नहीं।
बडी लम्बी खामोशी से गुजरा हूँ मै,
किसी से कुछ कहने की कोशिश मे।
नींद सोती रहती है हमारे बिस्तर पे,
और हम टहलते रहते हैं तेरी यादों में।
उड़ जायेंगे तस्वीरों से रंगो की तरह हम,
वक़्त की टहनी पर हैं परिंदो की तरह हम।
तुम्हें गुमां है कि मैं जानता नहीं कुछ भी,
मुझे ख़बर है कि रस्ता बदल रहे हो तुम।
उठा लो दुपट्टे को ज़मीन से कहीं दाग़ न लग जाए,
पर्दे में रखो चेहरे को कहीं आग न लग जाए।
टूटे हुए दिल भी धड़कते है उम्र भर,
चाहे किसी की याद में या फिर किसी फ़रियाद में।
अगर तुमसे कोई पूछे बताओ ज़िन्दगी क्या है,
हथेली पर जरा सी राख़ रखना और उड़ा देना।

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