Friday 29 December 2017

2 Line Shayari Collection #180

ज़र्रा ज़र्रा बिखर गया तेरी याद में,
कतरा कतरा ही सही दर्द में मोहलत दे दे।


किसी टूटे हुए मकान की तरह हो गया है ये दिल,
कोई रहता भी नहीं और कमबख्त बिकता भी नहीं।
तरस आता है मुझे अपनी मासूम सी पलकों पर,
जब भीग कर कहती है की अब रोया नहीं जाता।
उठा लो दुपट्टे को ज़मीन से कहीं दाग़ न लग जाए,
पर्दे में रखो चेहरे को कहीं आग न लग जाए।
तारे और इंसान में कोई फर्क नहीं होता,
दोनो ही किसी की ख़ुशी के लिऐ खुद को तोड़ लेते हैं।
कुछ यूँ उतर गए हो मेरी रग-रग में तुम,
कि खुद से पहले एहसास तुम्हारा होता है।
प्यार आज भी तुझ से उतना ही है बस,
तुझे एहसास नही और हमने जताना भी छोड़ दिया।
इतना दिल से ना लगाया करो मेरी बातो को,
कोई बात दिल में रह गई तो हमे भुला नहीं पाओगे।
मुझे तेरा साथ जिंदगीभर नहीं चाहिये,
बल्कि जब तक तु साथ है तब तक जिंदगी चाहिये।
आइना और दिल वैसे तो दोनो ही बडे नाज़ुक होते है लेकिन,
आइने मे तो सभी दिखते है और दिल मे सिर्फ अपने दिखते है।

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