Friday 18 May 2018

2 Line Shayari #218, Teri khubsoorti ki tarif

तेरी खूबसूरती की तारीफ में क्या लिखूं,
कुछ खूबसूरत शब्दों की अभी तलाश है मुझे।

उसकी बेवफ़ाई पर ही फिदा था दिल अपना,
खुदा जाने उसमें वफ़ा होती तो क्या होता।

मेरा कत्ल करने की उसकी साजीश तो देखो,
करीब से गुज़री तो चेहरे से पर्दा हटा लिया। 💔 😢

कोई ठुकरा दे तू हंस के सह लेना,
मोहब्बत की ताबित में ज़बरदस्ती नहीं होती। 💔 😢

ये वफ़ा तो उस वक्त की बात है ऐ फ़राज़,
जब मकान कच्चे और लोग सच्चे हुआ करते थे। 💔 😢

न जाने कैसे आग लग गई बहते हुए पानी में,
हमने तो बस कुछ खत बहाऐ थे उसके नाम के।

अहमियत दी तो कोहिनूर खुद को मानने लगे,
कांच के टुकड़े भी क्या खूब वहेम पालने लगे।

सौ बार कहा दिल से चल भुल भी जा उसको,
सौ बार कहा दिल ने तुम दिल से नही कहते।

बारिश और मोहब्बत दोनों ही यादगार होते हे,
बारिश में जिस्म भीगता हैं और मोहब्बत मैं आँखे।

मैं रोज़ लफ़्ज़ों में बयान करता हूँ अपना दर्द,
और सब लोग सिर्फ़ वाह वाह कह कर चले जाते है। 💔

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