तुम मेरी लय बनो और मैं तेरा गीत बनूं , तुम मेरी प्रीत बनो और मैं तेरा मीत बनूं । दुख की बरसात हो या खुशियों की बेला, तुम मेरी सरगम बनो और मैं संगीत बनूं।
~ जितेंद्र मिश्र ‘भरत जी’
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