Saturday 31 October 2020

आंसू दुःख के हैं और खुशियों के

आंसू दुःख के हैं और खुशियों के भी,
कब कौन सा छलक जाए ईश्वर जानें।

 

~ जितेंद्र मिश्र ‘बरसाने’

 

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