जब जान लिया कि यह जीवन है क्षण भंगुर फिर हे मनुष्य है तुझे किस बात का गुरूर उठो! खंडित कर दो ऐसे विचार संकीर्ण दिल के पिंजरे से कर दो मोहब्बत को विकीर्ण
~ Himanshi Nigam
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