Monday 19 July 2021

मेरी ज़िन्दगी हैं तू

ग़म है या ख़ुशी है, पर मेरी ज़िन्दगी हैं तू..
आफतों के दौर में, चैन की घडी हैं तू..
मेरी रात का चराग, मेरी नींद भी हैं तू..
मैं फिजा की शाम हूँ, रूत बहार की हैं तू..
दोस्तों के दरमियान, वजह-ए-दोस्ती है तू..
मेरी सारी उम्र में, एक ही कमी हैं तू..

 

~ अज़ीम आजाद

 

The post मेरी ज़िन्दगी हैं तू appeared first on Shayari.

No comments:

Post a Comment