Tuesday 22 August 2017

2 Line Shayari, Kaun kehta hai

कौन कहता है अलग अलग रहते हैं हम और तुम,
हमारी यादों के सफ़र में हमसफ़र हो तुम।


कौन कहता है के तन्हाईयाँ अच्छी नहीं होती,
बड़ा हसीन मौका देती है ये ख़ुद से मिलने का।
वो दुश्मन बनकर, मुझे जीतने निकले थे,
दोस्ती कर लेते, तो मैं खुद ही हार जाता।
वो सुर्ख होंठ और उनपर जालिम अंगडाईयां,
तू ही बता, ये दिल मरता ना तो क्या करता।
कौन कहता है कि हम झूठ नही बोलते,
एक बार खैरियत तो पूछ के देखिये।
दर्द की शाम है, आँखों में नमी है,
हर सांस कह रही है, फिर तेरी कमी है।
सारे साथी काम के, सबका अपना मोल,
जो संकट में साथ दे, वो सबसे अनमोल।
मोहब्बत हमारी भी, बहुत असर रखती है,
बहुत याद आयेंगे, जरा भूल के तो देखो।
शोर करते रहो तुम.. सुर्ख़ियों में आने का..
हमारी तो खामोशियाँ भी, एक अखबार हैं।
सीख नहीं पा रहा हूँ मीठे झूठ बोलने का हुनर,
कड़वे सच से हमसे न जाने कितने लोग रूठ गये।

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