Wednesday 27 March 2019

ज़ख़्म ही ज़ख़्म दिए उस ने दवा के नाम से

बिन बात के ही रूठने की आदत है;
किसी अपने का साथ पाने की चाहत है;
आप खुश रहें, मेरा क्या है;
मैं तो आइना हूँ, मुझे तो टूटने की आदत है!

बर्बाद कर गए वो ज़िंदगी प्यार के नाम से,
बेवफाई ही मिली हमें सिर्फ वफ़ा के नाम से,
ज़ख़्म ही ज़ख़्म दिए उस ने दवा के नाम से,
आसमान रो पड़ा मेरी मोहब्बत के अंजाम से।

अपनी ही एक ग़ज़ल से कुछ यूँ ख़फ़ा हूँ मैं
ज़िक्र था जिस बेवफ़ा का, वही बेवफ़ा हूँ मैं

मुझको बुत बनाकर तन्हा छोड़ देने वाले
मुझे जड़ से बुझा दे
गर मुझमें एक चिंगारी तक रह गयी न
तोह आग फिर से लग जायेगी…!!

कैसे बताएं तुमको दिल रूठ सा गया है
कोई अपना था जो पीछे छूट सा गया है

धूप में चलकर छाव से हमने कोई वास्ता ना रखा।
उन्होंने मुझे खोखला किया हमने उन्हें फिर भी दिल मे रखा।।

वह तो पानी की बूँद है जो आँखों से बह जाये,
आंसू तो वह है जो तड़प के आँखों मे ही रह जाये,
वह प्यार क्या जो लफ्ज़ो मे बयान हो,
प्यार तो वह है जो आखों मे नज़र आये…😘😘😘

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