Tuesday, 22 May 2018

2 Line Shayari #221, Sirf Lafz nahi ye

घर में रहा था कौन कि रुखसत करे हमें,
चौखट को अलविदा कहा और चल पड़े। 😔

सिर्फ लफ्ज़ नहीं ये दिलों की कहानी है,
हमारी शायरी ही हमारे प्यार की निशानी है।

पलकों पे आज नींद की किर्चें बिख़र गईं,
शीशे की आँख में कोई पत्थर का ख़्वाब है।

मिली हैं रुह तो फिर रस्मों की बंदिशें क्यों हैं,
जिस्म तो खाक होना है फिर रंजिशे क्यों है।

वैसे ही कुछ कम नहीं थे बोझ दिल पर,
कम्बख़्त, ये दर्जी भी जेब बायीं ओर सिल देता है।

ना देख अपने नज़रिये से दुनिया को
ऐ-दिल, यहाँ सबका अपना-अपना नज़रिया है।

धुआँ बन के मिल जाओ हवाओं में तुम,
साँस लेकर तुम्हें दिल में उतार लेंगे हम।

हमने कब माँगा है तुमसे अपने वफाओ का सीला,
बस दर्द देते रहा करो मोहब्बत बढ़ती जायेगी।

खुदा से मिलती है सूरत मेरे महबूब की,
अपनी तो मोहब्बत भी हो जाती है और इबादत भी।

मुहब्बत से भरी कोई गजल पसंद ही नहीं उन्हें,
बेवफाई के हर शेर पर मगर दाद दिया करते हैं। 😔

The post 2 Line Shayari #221, Sirf Lafz nahi ye appeared first on Hindi Shayari.

No comments:

Post a Comment