Sunday, 27 May 2018

2 Line Shayari #223, Ab itna bhi sukh

अब इतना भी खूब ना लिखा करो यारो,
आप सबके अल्फ़ाज़ों से इश्क़ सा होने लगा है।

क्या मुझे तेरी बाहों में पनाह मिल सकती है,
मुझे अपनी जिंदगी की आखिरी सांस लेनी है।

बडी मुख़्तसर वजह है, मेरे झुक कर मिलने की,
मिट्टी का बना हूँ, गुरुर जँचता नहीं मुझ पर।

रहकर तुझसे दूर, कुछ यूँ वक़्त गुज़ारा मैंने ना होंठ हिले,
ना आवाज़ आई फिर भी हर वक़्त तुझको पुकारा मैंने।

एहसान किसी का वो रखते नहीं, मेरा भी चुका दिया,
जितना खाया था नमक मेरा, मेरे जख्मों पर लगा दिया।

कौन शरमा रहा है आज यूँ हमें फ़ुर्सत में याद कर के..
हिचकियाँ आना तो चाह रही हैं, पर हिच-किचा रही है।

गलतफहमी से बढ़कर दोस्ती का दुश्मन नहीं कोई,
परिंदों को उड़ाना हो तो बस शाख़ें हिला दीजिए।🌹

रातो को आवारगी की आदत तो हम दोनों में थी,
अफ़सोस चाँद को ग्रहण और मुझे इश्क हो गया। 😪🍾

आज बता रहा हूँ नुस्खा-ए-मौहब्बत ज़रा गौर से सुनो,
न चाहत को हद से बढ़ाओ न इश्क़ को सर पे चढ़ाओ।🔥

मोहब्बत करने वालों को वक़्त कहाँ जो गम लिखेंगे
ए-दोस्तों, कलम इधर लाओ इन बेवफ़ाओं के बारे में हम लिखेंगे।

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