Tuesday, 22 May 2018

2 Line Shayari #222, Zindagi ajnabi mod pe le aayi

जिंदगी अजनबी मोड़ पर ले आई है,
तुम चुप हो मुझ से, और मैँ चुप हूँ सबसे। 😔

यूँ ही बे-सबब नही बनते भँवर दरिया में,
ज़ख्म कोई तो तेरी रूह में उतरा होगा।

ना महोब्बत ही मिली ना जख्म ही भरे,
हम तो आज भी उन्ही राहों पे हैं खड़े। 😔

हम थे, तुम थे, कुछ जज़्बात भी तो थे,
अरे छोड़ो कुछ नहीं, अल्फ़ाज़ ही तो थे।

ज़हन की चादर में ख्यालों के धागे हैं,
ओढ़े हैं जो किरदार सबके सब आधे हैं।

मुहब्बत का सबक बारिश से सीखो,
जो फूलो के साथ काँटो पर भी बरसती है।

अभी काँच हूँ इसलिए दुनिया को चुभता हूँ,
जब आइना बन जाऊँगा पूरी दुनिया देखेगी।

क़दम क़दम पर सिसकी और क़दम क़दम पर आहें,
खिजाँ की बात न पूछो सावन ने भी तड़पाया मुझे।

अजनबी शहर में किसी ने पीछे से पत्थर फेंका है,
जख्म कह रहा है जरुर इस शहर में कोई अपना मौजूद है। 😟

उन्होने अपने लबो से लगाया और छोड़ दिया,
वे बोले इतना जहर काफी है तेरी कतरा कतरा मौत के लिए।

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