देख कर उसको तेरा यूँ पलट जाना,
नफरत बता रही है तूने मोहब्बत गज़ब की थी।
जो जीने की वजह है तेरा इश्क़,
जो जीने नहीं देता वो भी है तेरा इश्क़।
रूठा हुआ है मुझसे इस बात पर ज़माना,
शामिल नहीं है मेरी फ़ितरत में सर झुकाना।
खो रहे है वो सब एक एक कर के मुझे,
जो लोग मुझे संभाल कर रखने वाले थे।
तुमसे ही रूठ कर तुम्ही को याद करते हैं,
हमे तो ठीक से नाराज़ होना भी नही आता।
इश्क ने कब इजाजत ली है आशिक़ों से,
वो होता है, और होकर ही रहता है।
अभी तो साथ चलना है समंदरों की लहरों मॆं,
किनारे पर ही देखेंगे किनारा कौन करता है।
लिखनी पड़ेगी फिर से इस मुल्क़ की तारीख़,
हालात ने तो मुल्क़ का नक़्शा बदल दिया।
दिल में सब को आने देता हूँ शक न कर,
लेकिन तू जहाँ बसती है वहाँ किसी को नही जाने देता।
वो उम्र भर कहते रहे, तुम्हारे सीने में दिल ही नहीं,
दिल का दौरा क्या पड़ा, ये दाग भी धुल गया।
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