है सागर अगर तू नदी मैं ना बनूँ,
बनूँ वो कश्ती कि डूबूँ तो तुझमें ही रहूँ।
देखा तुझे, चाहा तुझे सोंचा तुझे, पूजा तुझे,
मांगा खुदा से तेरे सिवा, हमने कुछ भी नही।
बचपन साथ रखियेगा जिंदगी की शाम में,
उम्र महसूस ही न होगी सफ़र के मुकाम में।
क्यूं एक आस अब तक तुझसे बंधी है,
क्यूं इंतजार हैं अब तक तेरा लोट आने का।
क्या हसीन इत्तेफाक़ था तेरी गली में आने का,
किसी काम से आये थे, किसी काम के ना रह।
तबाह कर डाला तेरी आँखों की मस्ती ने,
हजार साल जी लेते अगर दीदार ना किया होता तो।
उफ़ ये गजब की रात और ये ठंडी हवा का आलम,
हम भी खूब सोते अगर उनकी बांहो में होते।
ये और बात है की जख्मों से दिल्लगी है मुझे..
मगर जो वार तुमने किये है उसकी दाद दूँगी मैं।
फ़रिश्ते ही होंगे जिनका इश्क मुकम्मल होता है,
हमने तो यहाँ अपने आप को बस बर्बाद होते देखा है।
हम अपनी किस्मत को भी बदल कर दिखाते..
काश कोई हमें भी दुनिया में सफ़ाई से झूठ बोलना सिखा दे।
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