इसी कश्मकश का नाम मोहब्बत है,
बांहो में समंदर हो फिर भी प्यास रहती है।
चाहत का क्या, किसी को भी चाह लें..
मसला मुहब्बत का है, सिर्फ एक से होती है।
औरत से लेकर तुम तो बच्चियों तक आ गए,
ऐ मर्द ज़ात तुझको ये तरक़्क़ी मुबारक हो।
हर लम्हा तेरी याद का पैगाम दे रहा है,
अब तो तेरा इश्क मेरी जान ले रहा है।
वो हमारा दिल तार-तार करते हैं,
हम भी रफ्फू दिल बार-बार करते हैं।
सीने की जगह आँखों में धड़कता है..
ये दिल, ये इंतज़ार भी बड़ा अजीब होता है।
अब मैं कोई भी बहाना नहीं सुनने वाला,
तुम मेरा प्यार मुझे प्यार से वापस कर दो।
कितना हसीन है मेरे ख्वाबों की दुनिया..
तू भी मेरा जिंदगी भी मेरी हर खुशी भी मेरी।
आँखें रहेंगीं शाम-ओ-शहर मुन्तज़िर तेरी,
आँखों को सौंप देंगे तेरा इंतज़ार हम।
तेरी बाहों में घुल रही मंद साँसों की कश्मकश,
रुक कर के ज़िंदा रह लूँ या चल के मर जाऊँ।
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