Tuesday, 2 October 2018

2 Line Shayari #230, Shabdon ke ittefaq mein yu

शब्दों के इत्तेफाक में यूँ बदलाव करके देख,
तू देख कर न मुस्कुरा.. बस मुस्कुरा के देख।

फिर से महसूस हुई तेरी कमी शिद्दत से,
आज फिर दिल को मनाने में हमे बड़ी देर लगी।

कौन कहता हैं मोहब्बत की जुबाँ होती हैं,
ये तो वो हकीकत हैं, जो आँखो से बयाँ होती हैं। ❤

होगी कितनी चाहत उस दिल में जो,
खुद ही मान जाये कुछ पल खफा होने के बाद। ♥ ♥

एजी सुनते हो.. कौन कहता चाँद तारे तोड़ के दो,
बस दिल को छू जाये वो 3 लफ्ज तो बोल दो। 💕

नहीं भाता अब तेरे सिवा किसी और का चेहरा,
तुझे देखना और देखते रहना दस्तूर बन गया है।

वो भी फ़ुर्सत में बैठ कर अक़्सर सोचते तो होगे,
कोई कितनी शिद्धत से मोहब्बत करता था उसको।

काश दिल की आवाज़ में इतना असर हो जाए,
हम याद करें उनको और उन्हें ख़बर हो जाए। 💞

जाने ऐसी भी क्या दिल लगी थी तुमसे,
मैं आखरी खाव्वाहिस में भी तेरी मोहब्बत माँगी।

किजिये अपनी निगाहो को एक चेहरे पर पाबन्द,
हर सूरत पे लुट जाना तौहीने वफा होती है।

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