निकल पड़ा हूँ उस रास्ते पे
जो कभी ख़त्म नहीं होता
रुक जाता उस वक़्त अगर तूने
….एक बार भी रोका होता
आते हैं आज भी वो सपने
जब कभी गलती से, मैं सोता
बनाता हूँ ख़यालो में चेहरा तेरा
की दिल से अक्स तेरा नहीं होता
चाहता हूँ की रोकर गम भुला दू
पर कम्बक्त दिल ही नहीं होता
बहुत खायी हैं इस दिल ने चोटें
की अब दिल को दर्द भी नहीं होता
The post अब दिल को दर्द भी नहीं होता appeared first on Shayari.
No comments:
Post a Comment