Friday 28 September 2018

2 Line Shayari #228, Bewajah koi nahi rota ishq me yaaro

बेवजह कोई नहीं रोता इश्क में यारों,
जिसे खुद से ज्यादा चाहो वही रुलाता जरूर है।

नब्ज़ क्या ख़ाक बोलेगी.. हुज़ूर
जो दिल पे गुज़री है वो दिल ही जानता है।

लगाके इश्क़ की बाजी सुना है दिल दे बैठे हो,
मुहब्बत मार डालेगी अभी तुम फूल जैसे हो।

तुम्हारे गुस्से की भी कम्बख्त आदत सी हो गयी है,
इश्क़ अधूरा सा लगता है जब तुम गुस्सा नहीं करते।

इश्क की बात न पूछो इश्क बदनाम करता है,
रुलाता है हंसाता है बस यही काम करता है। 💘

मेरे लफ़्ज़ों में मतलब, उसी किरदार को नज़र आता है,
जो छलनी हुई रूह को लेकर भी, होंठो से मुस्कुराता है।

तुम्हारे बाद जो होगी वो दिल्लगी होगी,
मुहब्बत वो थी जो तुमसे तमाम कर बैठे।

मुहब्बत में परखना आपका हक़ है मगर सुनिये,
ज़रूरत से ज्यादा आजमाइश ग़म भी देती है।

सुकुन बस इतना ही काफी हैं जिन्दगी में यारा,
फासलों में रहकर भी तु दिल के सबसे करीब हैं 💕

मेरी रूह को अपनी रूह में मिलाकर मुझे गुमनाम कर दो,
तुम्हें देख कर लोग मुझे पहचाने यूँ खुद को मेरा हमनाम कर दो।

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