बात वफ़ाओ की होती तो कभी न हारते,
बात नसीब की थी कुछ ना कर सके।
नींद सोती रहती है हमारे बिस्तर पे,
और हम टहलते रहते हैं तेरी यादों में।
बहोत-सा इश्क है मुझे तुमसे,
बस तुम ज़रा-सा कर लो मुझसे।
बेजान तो हम अब भी नही पर..
जो हमें, जान कहते थे वो कहीं खो गये।
तुझ से जो इश्क़ है वो बेहद है क्यूँकि,
हद और सरहद ज़मीं की होती है दिल की नहीँ।
नहीं मालूम हसरत है या तू मेरी मोहब्बत है,
बस इतना जानता हूं कि मुझको तेरी जरूरत है।
लफ़्ज़ों के इत्तेफाक़ में यूँ बदलाव करके देख,
तू देख कर न मुस्कुरा बस मुस्कुरा के देख।
तेरी मेरी मोहब्बत का राज उस वक्त खुल गया,
जब दिल तेरी कसम खाने से मुकर गया।
सुनसान सी लग रही है, आज ये शायरों की बस्ती,
क्या किसी के दिल मे, अब दर्द नहीं रहा।
जरूरी नहीं है ईश्क में बॉहों के सहारे ही मिले,
किसी को जी भर के महसुस करना भी मोहब्बत है।
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