Tuesday 17 April 2018

2 Line Shayari #189, Tu ishq ki dusari nishani de

तू इश्क की दूसरी निशानी दे दे मुझको,
आंसू तो रोज गिर कर सूख जाते है।

तहजीब की मिसाल गरीबो के घर पे है,
दुपट्टा फटा हुआ है लेकिन सर पे है।

मुझे परखने में तूने पूरी जिंदगी लगा दी,
काश कुछ वक्त समझने में लगाया होता।

रहनुमाओं ने ही भटकाये है जिंदगी के रास्ते,
रूह उतरी थी ज़मीं पे मँजिल का पता लेकर।

न रख इतना गुरूर अपने नशे में ए शराब,
तुझसे ज़्यादा नशा रखती है आंखे मेरे महबूब की।

ये कैसा तुम्हारा ख्याल है जो मेरा हाल बदल देता है,
तूम दिसम्बर की तरह हो जो पूरा साल बदल देता है।

क्यूं बोझ हो जाते है वो झुके हुए कंधे साहब,
जिन पर चढ़कर तुम कभी मेला देखा करते थे।

हिसाब किताब हमसे ना पूछ अब, ऐ ज़िन्दगी,
तूने सितम नहीं गिने, तो हमने भी ज़ख्म नहीं गिने। 🍁

हासिल कर के तो हर कोई मोहब्बत कर सकता है,
बिना हासिल किए किसी को चाहना.. कोई हम से पूछे।

गलत सुना था की इश्क आँखों से होता है,
दिल तो वो भी ले जाते है जो पलकें तक नहीं उठाते। 🌹

The post 2 Line Shayari #189, Tu ishq ki dusari nishani de appeared first on Shayari.

No comments:

Post a Comment