Wednesday 18 April 2018

2 Line Shayari #191, Koi sikha de hame bhi

कोई सिखा दे हमें भी वादों से मुकर जाना,
बहुत थक गये हैं.. निभाते निभाते। 💕 🍁 💞

सो जाऊ या तेरी याद में खो जाऊ,
ये फैसला भी नहीं होता और सुबह हो जाती है। 🌹

मुझे क्या करना है तेरे इश्क की कीमत जानकर,
तेरे भरोसे पे बिकना मंजूर है मुझे।🌹

तहजीब की मिसाल गरीबो के घर पे है,
दुपट्टा फटा हुआ है लेकिन सर पे है।

इजहार गर जुबां से हो तो.. मजा क्या है ,
चाहने वाला जो निगाहों को पढ़े.. तो बुरा क्या है। 💕

वो कर दिया तूने जो ना कर पाए हकीम भी,
के तेरे छूने से अब मीठा हो गया है नीम भी।

हिसाब किताब हमसे ना पूछ अब, ऐ ज़िन्दगी..
तूने सितम नहीं गिने, तो हमने भी ज़ख्म नहीं गिने। 🍁

हासिल कर के तो हर कोई मोहब्बत कर सकता है,
बिना हासिल किए किसी को चाहना.. कोई हम से पूछे।

मेरी हर तलाश तुम पर ही खत्म होगी,
मैंने अपनी आरज़ूओं को बस इतने ही पंख लगाये हैं। 💞

मेरी बाहें जब तरसती हैं तुम्हे अपने सीने से लगाने को,
मैं कागज़ पे उतार के तुम्हें, अक्सर अपने गले लगाता हूँ।💐

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